योग्यता की परख

>> Wednesday, July 23, 2008

एक राजा के पास दो व्यक्ति आए और बोले, 'महाराज, हम नौकरी की तलाश में आए हैं। कोई काम मिल जाए तो कृपा होगी।' राजा ने उन दोनों को अलग-अलग बागों की रखवाली का काम दे दिया। एक दिन राजा अपने मंत्री के साथ एक बाग में गए। उसकी रखवाली करने वाले का नाम था - झूमर सिंह। उसने राजा और मंत्री का स्वागत किया और उनके लिए बाग से आम तोड़ लाया। राजा और मंत्री ने आम खाने शुरू किए, लेकिन जल्दी ही थूक दिए। आम बेहद खट्टे थे। यह देख झूमर सिंह डर गया। उसे लगा राजा उसे दंडित करेंगे, लेकिन राजा ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप मंत्री के साथ दूसरे बाग में चले गए। उसकी रखवाली अभयमल कर रहा था। उसने राजा और मंत्री को देखते ही उनके सामने थाल में आम सजाकर रख दिए और बोला, 'ये आम सभी बागों से ज़्यादा मीठे और स्वादिष्ट हैं। आप इन्हें खाकर प्रसन्न होंगे।' आम वास्तव में बहुत मीठे थे। राजा और मंत्री ने खूब आम खाए। फिर दोनों राजमहल लौट आए। दूसरे दिन राजा ने दोनों रखवालों को राजमहल बुलाया। उन्होंने अभयमल से कहा, 'आज से तुम दोनों बागों की रखवाली करोगे।' अभयमल खुश हो गया। इसके बाद राजा ने अपने गले का हार झूमर सिंह के गले में डालते हुए कहा, 'आज से तुम मेरे खजांची नियुक्त किए जाते हो।' झूमर सिंह भौचक रह गया। मंत्री को भी यह अटपटा लगा। वह तो सोच रहा था कि झूमर सिंह को सज़ा मिलेगी पर हुआ एकदम उलटा। उसने कुछ दिनों के बाद राजा से साहस करके इस बारे में पूछा। राजा ने मुस्कराते हुए कहा, 'झूमर सिंह ने जिस बाग की रखवाली की, उसका एक आम भी उसने स्वयं नहीं चखा। इसी कारण उसे पता नहीं था कि आम खट्टा है या मीठा। जबकि अभयमल ने आम चख लिया था, इसलिए उसे पता था कि आम मीठा है। मुझे लगता है कि झूमर सिंह ज्यादा ईमानदार है। इसलिए मैंने उसे खजांची बनाया।'

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