सफलता की कुंजी

>> Wednesday, July 23, 2008

फोर्ड मोटर के मालिक हेनरी फोर्ड दुनिया के चुनिंदा धनी व्यक्तियों में शुमार किए जाते थे। उनकी गाड़ी की प्रशंसा दुनिया भर में होती थी। एक बार एक उद्योगपति मोटर कारखाना लगाने से पहले फोर्ड से सलाह करने अमेरिका गए। उद्योगपति ने अमेरिका पहुंच कर हेनरी फोर्ड से मिलने का समय मांगा। फोर्ड ने कहा, 'दिन में आपके लिए मैं ज़्यादा समय नहीं निकाल पाऊंगा, इसलिए आप शाम छह बजे आ जाइए।' उद्योगपति उनके घर पहुंचे। वहां एक आदमी बर्तन साफ कर रहा था। उन्होंने उससे कहा, 'मुझे हेनरी साहब से मिलना है।' वह आदमी उन्हें बैठक में बैठा कर अंदर चला गया। थोड़ी देर बाद उसने उनके सामने आकर कहा, 'तो आप हैं वह उद्योगपति। मुझे हेनरी कहते हैं।' उद्योगपति को असमंजस में देख कर हेनरी ने कहा, 'लगता है आपको मेरे हेनरी होने पर संदेह हो रहा है।' उद्योगपति ने सकपका कर कहा, 'हां सर, अभी आप को एक नौकर का काम करते देख कर ताज्जुब हुआ। इतनी बड़ी कंपनी के मालिक को बर्तन साफ करते हुए देख कर किसी को भी भ्रम पैदा हो सकता है। यह काम तो नौकरों का है।' हेनरी ने कहा, 'शुरुआत में मैं एक साधारण इंसान था। अपना काम खुद करता था। अपने हाथ से किए गए कठोर परिश्रम का फल है कि आज मैं फोर्ड मोटर का मालिक बना हूं। मैं अपने अतीत को भूल न जाऊं और मुझे लोग बड़ा आदमी न समझने लगें, इसलिए मैं अपने सभी काम अपने हाथ से करता हूं। अपना काम करने में मुझे किसी तरह की शर्मिन्दगी और झिझक महसूस नहीं होती।' उद्योगपति उठ कर खड़े हो गए और बोले, 'सर, अब मैं चलता हूं। मैं जिस मकसद से आपके पास आया था, वह एक मिनट में ही पूरा हो गया। मेरी समझ में आ गया कि सफलता की कुंजी दूसरों पर भरोसा करने में नहीं अपने पर भरोसा करने में है।'

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