आस्था

>> Saturday, May 8, 2010

मनौती मांगने के लिए कि गयी प्रक्रिया में हम जितना कष्ट उठाते हैं,  अगर उतना ही "संकल्प" करने में उठाएं और फिर जो निश्चय किया है उसे उसी पराक्रम से कर दिखाएं तो बेहतर होगा. लेकिन ऐसा संकल्प और ऐसा पराक्रम सभी लोग अपने अकेले बलबूते पर नहीं कर पाते. इसलिए वह अपने से बड़े किसी ऐसे शक्ति में विश्वास करके चलते हैं, जिनमें और भी अनगिनत लोगों का विश्वास हो और जो उनसे ऐसे काम करवा सकते हों; जो वे मानते हैं कि स्वयंऔर अपने बलबूते पर नहीं कर पाते या नहीं कर सकते. आपको अपने अन्दर कि असाधारण शक्ति में विश्वास करना जरूरी है.
हनुमान जी को भी कहाँ अपनी शक्ति का एहसास था कि वे समुद्र लाँघ सकते हैं, उन्हें भी अपनी शक्ति का एहसास रामजी ने कराया. हर आदमी, देश और समाज ऐसी कोई असाधारण शक्ति या आदर्श चुन लेता है और फिर खुद ही उसे पूरा करने में लग जाता है. सब अपने पराक्रम और उपलब्धि को अपने से बड़ी किसी शक्ति प्रेरणा या आदर्श को समर्पित कर देते हैं, जिनमें यह विनम्रता नहीं होती उनका पराक्रम ज्यादा दिन तक नहीं चलता क्योंकि उपलब्धि ज्यादा दिन तक टिकाऊ नहीं होती.

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