Right Wrong(सही गलत)

>> Saturday, September 27, 2014

सही गलत

सरकार की अगर कोई नीति बरसों बाद आदालत के निर्देश पर खारिज होती है। या फिर सरकार को बीते बरसों के फैसले रद्द करने पड़ते हैं तो फिर जिन निवेशकों ने सरकारी नीति के तहत पूंजी लगायी वह अब क्या करेंगे। जिन बैकों ने प्लांट के लिये कंपनियो को उधारी दी अब उन्हें वापस पैसा कैसे मिलेगा? और जिन्होने कोयला खादान मिलने पर उद्योग लगा लिया उनकी पूंजी का क्या होगा?

याद कीजिये, जब तत्कालीन सरकार ने निजी फर्मों को खदाने तभी आबंटित की थी. जब सरकारी उपक्रम कोल  इंडिया ने उन खदानों को नकार दिया था. तब निजी उद्योगों ने अपने दम पर खतरे उठाकर वहाँ खदाने शुरू की, करोड़ों रूपये लगाकर संसाधन विकसित किये. और जब अब यह मुनाफा सभी को दिखने लगा तो यकायक यह काम गैरकानूनी हो गया.
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सर्वोपरि है, पर क्या किसी ने यह जहमत उठाने की कोशिश की कि जिन नीति के अनुसार इन खदानों का आबंटन हुआ, उस नीति का पालन इन उद्योगों ने किया या नहीं. अगर कोई उद्योग इन नीति का पालन नहीं करता तब उनका आबंटन रद्द कर दिया जाना चाहिए पर अगर किसी ने उस नीति का पालन किया है तो स्तिथि यथावत रहनी चाहिए. क्योंकि उस उद्योगों ने उस नीति के अनुसार ही आबंटन पाया और अपना उद्योग चलाया. हाँ अगर वह नीति ही गलत है तो फिर इसमें उद्योग कि गलती कहाँ है. यह तो नीति निर्धारण करने वालों कि गलती है फिर इसकी सजा नीति पालन करने वाले उद्योगों को क्यों?

पूंजीपति उद्योगपतियों को सरकार की नीति से लाभ होता है तो ही वह पैसा लगाते हैं(ध्यान रहे कि हर उद्योगपति एक व्यापारी होता है और अपना नफा-नुकसान देखकर ही पैसा लगता है) और जब नीतियां ही फ्रॉड साबित हो जाये तो फिर विकास की नयी नीति के विरोध में खड़े होने से भी नहीं कतराते। इसलिये यह मैं समझ नहीं पा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पावर प्रोजेक्ट के लिये दिये गये करोड़ों रूपये के लोन का बैक को चूना लगेगा। कंपनियो को करोड़ों का नुकसान होगा। तो फिर यह हालात आये कैसे और कैसे विकास की लहर में भारत खुला बाजार बन गया।
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने खादान आवंटन को गलत मान कर हर आवटंन रद्द कर दिया है तो फिर इसके दोषियों को क्या सजा होगी । क्या कोई जेल जायेगा ? क्योकि हर निर्णय ग्रूप आफ मिनिस्टर ने लिये । यानी सरकारें की अपराध कर रही थी तो फिर आने वाले वक्त में कौन यह मान कर चले कि अभी जो विकास की चकाचौंध विदेशी-देशी निवेश से दिखायी जा रही है कल वह भी गलत साबित नहीं होगी। यानी मोदी सरकार की नीतिया भी 2035 में गलत साबित हो सकती है । तो फिर इस देश में कौन पैसा लगायेगा.

कोर्ट का कहना है कि जिन उद्योगों ने आबंटन पाया है और कोयला निकला है उन्हें अब पेनाल्टी देना होगा, वह भी प्रति टन के हिसाब से. मेरा एक सामान्य सा प्रश्न है:
  1.     कुछ साल पहले मैंने एक सामान(मान लें प्लाट) बाज़ार से लिया. लेते समय उसकी जितनी कीमत थी मैंने चुकाई और सरकार को उस कीमत की टैक्स भी दी. अब उसकी कीमत में उछाल आ गया और वह मंहगा हो गया. तो क्या बेचने वाला मुझसे अभी की बढ़ी हुई दर की भरपाई के लिए दावा कर सकता है. और साथ ही साथ सरकार भी क्या बढ़ी हुई कीमत पर टैक्स मांग सकती है? अगर हाँ तो :
  2.       कुछ  साल पहले मैंने यही सामान लिया था, अब उसकी कीमत गिर गई. क्या मैं आज इसके बाजार भाव के कीमत की वापसी का दावा बेचने वाले से और सरकार से इसके टैक्स की वापसी का दावा कर सकता हूँ? क्योंकि मैंने उस समय इसकी ज्यादा कीमत चुकाई थी.


 * यह मेरे निजी विचार हैं...

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