चंद्रयान हम और आप
>> Wednesday, November 19, 2008
भारत चांद पर जा पहुंचा है? यकीन नहीं होता… यह महानगरों की टूटी- फूटी सड़कों वाला, गांवों में गुल बिजली वाला देश चांद पर जा पहुंचा है? कब हो गया, कैसे हो गया, किसने किया यह चमत्कार?
जब हम सरकारी दफ्तरों में चाय पीते, फाइलें टालते समय गुजार रहे थे, घर का कचरा गली में फेंक कर सफाई कर रहे थे, सड़कों पर थूक रहे थे, भाषा-जाति-धर्म-प्रांत के नाम पर फूट डालने वाले नेताओं के पीछे अंधों की तरह भाग रहे थे, सिनेमा और क्रिकेट के नायकों पर फिदा हुए जा रहे थे….
तब कुछ गुमनाम वैज्ञानिक देश के किसी गुमनाम कोने में अपने जीवन के अमूल्य वर्ष बिता कर भारत को चांद पर भेजने के लिए काम कर रहे थे। चंद्रयान को बनाने के पहले और उसके जरिए चांद पर तिरंगा भेजने के बाद भी, ये सारे वैज्ञानिक अब भी स्वेच्छा से गुमनामी में हैं, अब भी भारत के लिए काम कर रहे हैं।
आज लालबहादुर शास्त्री होते तो उन्हें इन वैज्ञानिकों पर गर्व होता।
भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्ला खां, सुखदेव और राजगुरू होते तो उन्हें इन वैज्ञानिकों पर गर्व होता।
क्या आपको गर्व है अपने इन देशवासियों पर जिनकी कर्तव्यनिष्ठा से आज चांद पर तिरंगा मौजूद है?
अगर है, तो कृपया आप उनके सम्मान में कुछ करिए।
ज्यादा नहीं, सिर्फ इतना ही कि आपके जो सामाजिक और राष्ट्रीय कर्तव्य हैं उन्हें निभाने की कोशिश करिए।
कोशिश करिए कि जिस दफ्तर की तनख्वाह आपको रोटी देती है, उसका कार्य पूरी निष्ठा से करें।
कोशिश करिए कि सार्वजनिक स्थान पर आप कचरा फेंकने के भागी न बनें।
कोशिश करिए कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन आपके द्वारा न हो।
कोशिश करिए कि बिना लाउडस्पीकर लगाए समारोह- त्योहार की खुशी मना सकें।
कोशिश करिए कि अपने गांव- शहर- कस्बे में वृक्षारोपण करने में सहभागी बन सकें।
कोशिश करिए कि बांटने की भाषा बोलने वाले हर राजनेता से दूर रह सकें।
सबसे बढ़ कर: यह मत देखिए कि दूसरा क्या कर रहा है, यह देखिए कि आप क्या कर रहे हैं।
बहुत सारी बातें हैं जो आप अपने देश को गर्व करने लायक बनाने के लिए कर सकते हैं।
कोशिश तो करिए।
2 comments:
kya bat hai dost, sache aadmi lagte ho. wish you good wishes,
ganesh-9313176901
good
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